आशीष सागर

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कवयित्री –अन्किता

जब तक यादें साथ रहेगी, साथ रहेगी उनकी याद।

शिक्षा, दिक्षा ज्ञान की बातें,गुरूजनों का आशीर्वाद।

सिक्षा है अनमोल रत्न, हर बार यही बतलाते हैं।

कर रहे कल्याण निरंतर,बराबरी का पाठ पढ़ातें हैं।

कहते,”मत हार मानना कभी, तुम कम नहीं किसी से।

मत समझो इस लाचारी को किस्मत, हक़ छीन लो उसी से।“

मार्गदर्शक बन के हरदम, संग-संग जो चल रहे,

चंद कद्मो पर गिरे जो ,हाथ थामे है खड़े।

फिर जो हिम्मत डगमगाई, हौसला बुलंद कर रहे।

धन्य है वो लोग, जो आलोक तम में भर रहे।

वन्दना सम्मान में ,शिष्य ने जब भी किया,

हर बार तब गुरूजनों ने,अशीष सागर भर दिया।

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