वास्तविक ज्ञान – आज की ज़रूरत

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by – Alisha Mehra

ज्ञान के वास्तविक स्वरूप की दिन प्रतिदिन चर्चा होती रहती है। परंतु वर्तमान समय में शिक्षा वही है जो परंपरागत रूप से पढ़ाई जाए। ज्ञान के दो पहलू हैं, हमारा चहेता किताबी ज्ञान और व्यावहारिक ज्ञान। वास्तविक ज्ञान और किताबी ज्ञान में यह मुख्य भिन्नता है कि वास्तविक ज्ञान एक विद्यार्थी को अनुभव देकर जीवन मे सक्षम बनाता है ।

विद्यालयों मैं सैध्दांतिक रूप से किताबी ज्ञान ही पढ़ाया जाता है दूसरी तरफ प्रायोगिक ज्ञान पर कोई भी ज़ोर नही देता।

इसमें कोई दो राय नही है की किताबी ज्ञान भी उतना ही आवश्यक है जितना कि वास्तविक ज्ञान क्योंकि किताबी ज्ञान हमारा मार्गदर्शन करता है और वास्तविक ज्ञान हमें उस मार्ग में बिना रुकावट के चलना सिखाता है। वास्तविक ज्ञान के द्वारा ही हम उस मार्ग पर आगे बढ़ पाते है।

हमारे सामने कई ऐसे उदाहरण है जहाँ एक अच्छा पढ़ा लिखा व्यक्ति इतनी उन्नति नही कर पाता जितना कि अपने अच्छे अनुभव के आधार पर किसी दूसरे व्यक्ति ने उन्नति की हो । हमें ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जहाँ किसी व्यक्ति ने अच्छी पढ़ाई के साथ साथ अपने अनुभव का भी लाभ उठाया औऱ अच्छी तरक्की की।

अब प्रश्न यह उठता है कि किसी व्यक्ति को व्यावहारिक ज्ञान कहाँ से मिलेगा। असल मे किताबी ज्ञान और व्यवहारिक ज्ञान एक दूसरे के पूरक है या यू कहे कि एक ही सिक्के के दो पहलू है। एक व्यक्ति जब डॉक्टरी की पढ़ाई करता है तो वह डॉक्टर तो कहलाने लगेगा लेकिन एक अच्छा डॉक्टर तभी बनेगा जब वह लोगो का इलाज करेगा। लोगो का इलाज करते हुए उसे जो व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा वही उसका अनुभव होगा। अपने इसी अनुभव के आधार पर वह एक कामयाब डॉक्टर बन सकेगा।

कोई भी इंसान सिर्फ किताबी ज्ञान के सहारे आगे नही बढ़ सकता। व्यावहारिक ज्ञान भी उतना ही जरूरी है जितना कि किताबी ज्ञान। बल्कि यदि यह कहा जाए कि कुछ मामलों में व्यावहारिक ज्ञान ही महत्वपूर्ण होता है तो अतिशयोक्ति नही होगी। पुराने समय मे जो वैद्य हुआ करते थे , वे अपने अनुभव के आधार पर ही लोगो को ठीक कर दिया करते थे या फिर अपने अनुभव से ही बड़े बड़े महल और मकान बना दिया करते थे। किंतु आजकल व्यावहारिक ज्ञान के साथ साथ किताबी ज्ञान की महत्ता बड़ी है। सच तो यह है कि यदि किसी के पास अनुभव के साथ साथ अच्छी डिग्री नही है तो उसे कोई नही पूछता । उसी तरह अच्छी डिग्री के साथ हर कोई अनुभव को पूछता है।

इसलिये हम कह सकते है कि किताबी ज्ञान और व्यवहारिक ज्ञान दोनो एक दूसरे के पूरक है। दोनों ही ज्ञान एक दूसरे के बिना अधूरे है। किताबी ज्ञान के साथ साथ हमे अनुभव की भी आवश्यकता होती है और सिर्फ अनुभव ( किताबी ज्ञान के अभाव में) हमें जीवन मे तरक्क़ी नही करने देता। लेकिन यह भी सच है कि व्यवहारिक ज्ञान आज की ज़रूरत है और इसके अभाव आपका आगे बढ़ना असंभव है।

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